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मेरी धरती
आज हमारी यह धरती, फिर से बलिदान मांगती है।
अपने देश के वीरों को, सीने से लगाना चाहती है।
पाकिस्तान हो या चीन जापान, सबसे लोहा लेना जानती है।
आज हमारी यह धरती, फिर से बलिदान मांगती है।
अपने शत्रुओ को मरने की, ताकत इसमें अब भी है।
महापुरुषों के हिम्मत की, इतिहास गवाही देती है।
आज हमारा यह भारत, सात अजूबों में आता है।
दुनिया की बुरी नजरो से, यह धूमिल होता जाता है।
आज हमको फिर जागना है, इस प्यारी धरती के लिए ।
बलिदान चाहे होना पड़े, अपने देश की रक्षा के लिए ।
जो पीठ में छुरा मरता है, क्यों प्रेम दिखाए उसके साथ।
हम भी तो जीना चाहते है, तो क्यों चलने दे आतंकवाद।
आज सभी ये जान लो देशो, हम में भी ताकत पुरानी है।
तुम देश एक हुए तो क्या हुआ, इस देश में धर्म की शक्ति है।
जो लड़ जाओगे आज अगर, तो मिटना तेरा निश्चित है।
अभी तलक हम चुप बैठे थे, अब बैठना अनिश्चित है।
आज तुम्हारा अस्तित्व है जो, वह इसी देश से बन पाया है।
जितने भी अविष्कार किये तुमने, वह मेरे ही देश से चुराया है।
संसार के आदि शक्ति और सब ईश्वर, इस धरती पर आये है।
वो जानते थे तुम पापी हो, इसलिए तुम नहीं उनका दर्शन पाए हो।
इस धरती में वह खुशबू है, जो कहीं नहीं मिल पाती है।
इस देश पर बलिदान हो करके, आत्मा मुक्त हो जाती है।
अगर थोड़ी इंसानियत तुम में अब भी है, तो छोड़ो ये आतंकवाद।
आ जाओ मिलजुलकर हम, रचते है एक नया इतिहास।
अब भी समय नहीं बीता है, ध्यान करो इस पृथ्वी का।
अगर लड़ोगे घर में ही तुम, तो क्या होगा इस पृथ्वी का।
साथ रहेंगे मिलजुलकर, तो स्वर्ग उतार लायेगे हम।
नहीं लड़ेंगे एक दुसरे से, खा लेते है ये आज कसम ।
जय हिंद जयभारत
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